wheat news: गेहूं के फसल के लिए खतरनाक है ये भयानक रोग, जानें कैसे करें रोकथाम

wheat news भारत में रबी फसल का सबसे हानिकारक खरपतवार फालारिस माइनर मतलब मंडूसी है, जिससे गुल्ली डंडा, गेहूं का मामा अथवा कनकी भी कहा जाता हैं. ये आम धारणा है कि मंडूसी का बीज भारत में उस टाइम पर आया जब साठ के दशक में बहुत बड़े पैमाने पर मैक्सिको से बौनी किस्म की गेहूं का बीज आयात किया गया था.

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wheat news गेहूं की अधिक उपज देने वाली बौनी किस्मों के साथ-साथ अधिक खाद से पानी देने के परिणाम स्वरूप एवं मंडूसी को भी बढ़ोतरी का अनुकूल वातावरण मिला, इसके कारण तेजी से ये फैलता गया. मंडूसी खरपतवार से 10 से 100% तक का नुकसान पाया गया है.
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आइसोप्रोटयूरान के असरदार न रहने से पिछले कई वर्षों से गेहूं की उपज में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. मंडूसी का नियंत्रण आज गेहूं की उपज बढ़ोतरी के रास्ते में एक पत्थर बन गया है. इसी हानिकारक खरपतवार से बचने के बेहतर प्रकार के बारे में खरपतवार शोध निदेशालय जबलपुर ने सल्हा दिए हैं.

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फालारिस माइनर खेतों में नहीं उगे इसके लिए खरपतवार बीज रहित गेहूं की बुआई करें. गेहूं की बुवाई 25 नवम्बर से पहले करें एवं लाइन से लाइन की दूरी 18 सेंटीमीटर से कम रखनी चाहिए. इसके सिवाय, खाद को बीज के 2-3 सेंटीमीटर नीचे डालें.

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खरपतवार शोध निदेशालय जबलपुर के माध्यम मंडूसी का पौध शुरू में बिल्कुल गेहूं के पौधे जैसा होता है.इसलिए इसे पहचानना आसान नहीं होता है एवं इसे निराई गुड़ाई करके निकालना बहुत मुश्किल होता है. मंडूसी के नियंत्रण के लिए गेहूं उगने से पहले ही इन वीडीसाइड कीटनाशकों का उपयोग करके मंडूसी खरपतवार का नस्ट किया जा सकता है.

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गेहूं बुआई के शीघ्र पानी लगाकर मंडूसी को उगने दें. फिर दवाई एवं खेत को जोत कर इसे नस्ट करने के बाद, गेहूं की बुआई करें. जीरो टिलेज से गेहूं की बुआई करने से मंडूसी कम उगती है. बुआई के 30 से 45 दिन बाद लाइनों में बीजे गेहूं में खुरपे अथवा कसौले आदि से गुड़ाई की जा सकती है.

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कभी भी खाद एवं मिट्टी में दवा मिलाकर स्प्रै न करें. जिस खेत में गेहूं के साथ साथ सरसों फसल लगाई जाती हो, वहां उचित समय पर पानी की पूरी मात्रा के साथ स्प्रै की जानी चाहिए.

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