Wheat Cultivation: गेहूं की फसल से पाना चाहते हैं अधिक उपज तो ये लेख पहले पढ़ लें

Wheat Cultivation विश्व में सबसे ज्यादा क्षेत्र फल में गेहूँ उगाने वाले प्रमुख तीन राष्ट्र भारत, रशियन फैडरेशन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका है. गेहूँ निर्माड में चीन के बाद भारत एवं अमेरिका का क्रम आता है.

Wheat Cultivation
Wheat Cultivation

गेहूँ की खेती विश्व के प्रायः प्र्तेक भाग में होती है. संसार की कुल 23% भूमि पर गेहूँ की खेती की जाती है. गेहूँ विश्वव्यापी आवश्यक फसल है. खास तोर से एशिया में धान की खेती की जाती है, तो भी विश्व के सभी प्रायद्वीपों में गेहूँ की खेती की जाती है.

Wheat Cultivation भूमि का प्रकार

Wheat Cultivation गेहूँ सभी प्रकार की कृषि योग्य भूमियों में पैदा हो सकता है परन्तु दोमट से भारी दोमट, जलोढ़ मृदाओ में गेहूँ की फसल सफलता पूर्वक की जाती है. जल निकास की सुविधा होने पर मटियार दोमट एवं काली मिट्टी में भी इसकी अच्छी फसल ली जा सकती है. कपास की काली मृदा में गेहूँ की खेती के लिए सिंचाई की जरुरी कम पड़ती है. भूमि का pH मान 5 से 7.5 के बीच में होना फसल के लिए उपयुक्त रहता है क्योंकि ज्यादा क्षारीय एवं अम्लीय भूमि गेहूं के लिए अनुपयुक्त होती है.

Wheat Cultivation खेत की तैयारी

अच्छे अंकुरण के लिये एक बेहतर भुरभुरी मिट्टी की जरूरत होती है. समय पर जुताई खेत में नमी संरक्षण के लिए भी जरूरी है. वास्तव में खेत की तैयारी करते समय हमारा लक्ष्य ये होना चाहिए कि बुआई के समय खेत खरपतवार फ्री हो, भूमि में पर्याप्त नमी हो एवं मिट्टी इतनी भुरभुरी हो जाये ताकि बुआई आसानी से उचित गहराई एवं समान दूरी पर की जा सके. खरीफ की फसल कटने के बाद खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करबानी चाहिए जिससे खरीफ फसल के अवशेष एवं खरपतवार मिट्टी मे दबकर सड़ जायें. इसके बाद जरुरत 2-3 जुताइयाँ देशी हल-बखर एवं कल्टीवेटर से करनी चाहिए. हर जुताई के बाद पाटा देकर खेत समतल कर लेना चाहिए.

उन्नत वैराइटी

फसल उत्पादन मे उन्नत वैराइटी के बीज का आवश्यक स्थान है. गेहूँ की वैराइटी का चुनाव जलवायु, बोने का समय एवं क्षेत्र के आधार पर करना चाहिए. बिभिन्न क्षेत्रों के लिए निम्नलिखित वैराइटी पूसा द्वारा बताई जाती है, जिनको किसान भाई खेती कर सकतें है

गेहूं की प्रमुख उन्नत किस्मों की विशेषताएं

Wheat Cultivation बीजोपचार

Wheat Cultivation बुवाई के लिए जो बीज प्रयोग किया जाता है वह रोग मुक्त, प्रमाणित एवं क्षेत्र विशेष के लिए अनुशंषित उन्नत वैराइटी का होना चाहिए इसके अलावा रोगों की रोकथाम के लिए ट्राइकोडरमा की 4 ग्राम मात्रा 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम के साथ प्रति किग्रा बीज की दर से बीज शोधन किया जा सकता है.

बुआई का समय

गेंहूँ की फसल है जो शीतकालीन मौसम में उगाया जाता है. भारत के अनेक भागो में गेहूं का जीवन काल भिन्न-भिन्न रहता है खास तौर पर गेहूं की बुवाई अक्टूबर से दिसंबर तक की जा सकती है एवं फसल की कटाई फरवरी से मई तक की जाती है. जिन वैराइटी की अवधि 135-140 दिन है, उसको नवम्बर के प्रथम पखवाड़े में वह जो किस्में पकने में 120 दिन का समय लेती है, उन्हे 15-30 नवम्बर तक लगाना चाहिए.

गेहूँ की शीघ्र बुआई करने पर बालियाँ पहले निकल आती है एवं उत्पादन कम होता है जबकि तापक्रम पर बुआई करने पर अंकुरण देर से होता है . प्रयोगो से ये देखा गया है कि लगभग 15 नवम्बर के आसपास गेहूँ बोने पर अधिकतर बौनी वैराइटी अधिकतम उपज देती है. अक्टूबर के उत्तरार्द्ध में लगाई गई लंबी वैराइटी से भी अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है . असिंचित अवस्था में बोने का उपयुक्त समय बर्षा ऋतु समाप्त होते ही शुरू अक्टूबर के लगभग है. अर्द्धसिंचित अवस्था मे जहाँ पानी सिर्फ 2 – 3 सिंचाई के लिये ही प्राप्त हो, वहाँ गेहूं की फसल का उपयुक्त समय 25 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक है.

सिंचित गेहूँ खेती का उपयुक्त समय नवम्बर का प्रथम पखवाड़ा है. छोटी में 30 नवम्बर से ज्यादा देरी नहीं होना चाहिए. यही किसी कारण से बोनी विलंब से करनी हो तब देर से बोई जाने वाली वैराइटी की बोनी दिसम्बर के प्रथम सप्ताह तक हो जाना चाहिये. देर से बोयी गई फसल को पकने से पहले ही सूखी एवं गर्म हवा का सामना करना पड़ता है जिसके कारण दाने सिकुड़ जाते है अथवा उपज कम हो जाती है.

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